संतराम केवरे, प्रदेश सचिव (जबलपुर), राष्ट्रीय श्रमजीवी पत्रकार परिषद की कलम से
जबलपुर — शहर में पत्रकारों पर लगातार हो रहे हमलों ने अब यह साफ कर दिया है कि जबलपुर पुलिस या तो पूरी तरह नाकाम हो चुकी है, या पत्रकारों की सुरक्षा को लेकर उसने आंख मूंद ली है। लोकतंत्र के चौथे स्तंभ पर हो रहे ये जानलेवा हमले न सिर्फ प्रशासन की संवेदनहीनता, बल्कि पुलिस की लापरवाही का भी खुला प्रमाण बन चुके हैं।
भानतलैया निवासी वरिष्ठ पत्रकार नील तिवारी पर हुआ हालिया हमला इस बात का ताज़ा सबूत है कि अपराधियों के हौसले कितने बुलंद हैं। बीते तीन वर्षों में यह उन पर चौथा हमला है। इस बार आराधना शुक्ला और उसके पिता ने लोहे की रॉड से हमला कर उन्हें लहूलुहान कर दिया सिर पर गहरी चोट लगी और चार टांके लगाने पड़े।
लेकिन हैरानी की बात यह है कि पुलिस ने इस गंभीर हमले को भी साधारण धाराओं में दर्ज किया, मानो यह कोई मामूली घटना हो। न पहले के मामलों में कोई गिरफ्तारी हुई, न इस बार अपराधियों को पकड़ा गया यह पुलिस की कार्यप्रणाली पर बड़ा सवालिया निशान है।
परिषद ने संभाली कमान, पुलिस प्रशासन को दी चेतावनी- इस लापरवाही के खिलाफ राष्ट्रीय श्रमजीवी पत्रकार परिषद ने मोर्चा संभाला और पत्रकारों की सुरक्षा को लेकर सख्त रुख अपनाया। परिषद के शीर्ष पदाधिकारी और पत्रकारों का प्रतिनिधिमंडल पुलिस अधीक्षक से मिला, जहाँ पुलिस के ढुलमुल रवैये पर तीखी आपत्ति जताते हुए ठोस कदम उठाने की मांग रखी गई।
इस प्रतिनिधिमंडल में राष्ट्रीय संयोजक नलिनकांत वाजपेयी, राष्ट्रीय अध्यक्ष परमानंद तिवारी, प्रदेश अध्यक्ष राजेश दुबे, प्रदेश संगठन सचिव विलोक पाठक, प्रदेश सचिव जबलपुर संतराम केवरे, प्रदेश प्रवक्ता उमेश शुक्ला, संभागीय अध्यक्ष चंद्रशेखर शर्मा, जिला अध्यक्ष सिमरन शुक्ला, जिला सचिव अनुराग दीक्षित सहित बड़ी संख्या में पत्रकार मौजूद रहे।
पत्रकारों ने स्पष्ट कहा — “जब समाज को सच्चाई दिखाने वाला ही असुरक्षित होगा, तो लोकतंत्र का क्या बचेगा? पत्रकार पर हमला सच्चाई पर हमला है — और इसे बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।” अगर कलम पर वार होगा, तो सड़क से सदन तक संघर्ष होगा”
राष्ट्रीय अध्यक्ष परमानंद तिवारी ने कहा - अगर कलम पर वार होगा, तो सड़क से सदन तक संघर्ष होगा। हम पत्रकार हैं, डरना हमारी फितरत में नहीं — लड़ना हमारी विरासत है।”
वहीं राष्ट्रीय संयोजक नलिनकांत वाजपेयी ने कहा —राष्ट्रीय श्रमजीवी पत्रकार परिषद पत्रकारों की ढाल है। पत्रकारों की सुरक्षा और सम्मान के लिए परिषद किसी भी कीमत पर समझौता नहीं करेगी।”
बैठक में मौजूद रहे कई वरिष्ठ पत्रकार
बैठक में एड. विवेक तिवारी, सतीश अग्रवाल, पीयूष बाजपेयी, सोमेंद्र डंग, पीयूष सिंह, शुभम श्रीवास्तव, बी.एल. रजक, अमित पटेल, प्रवीण नामदेव, विजय सोनी, अखिलेश सोनी और हंसराज (हंसु) प्रमुख रूप से शामिल रहे।
भारी दबाव के बाद पुलिस अधीक्षक ने एडिशनल एसपी स्तर की जांच के आदेश दिए और आश्वासन दिया कि पत्रकारों व पुलिस के बीच संवाद स्थापित करने के लिए कंट्रोल रूम में हर माह विशेष बैठक आयोजित की जाएगी।
पत्रकार पर हमला, लोकतंत्र पर हमला” — परिषद की दो-टूक चेतावनी परिषद ने अंत में कहा —
“राष्ट्रीय श्रमजीवी पत्रकार परिषद पत्रकारों की ताकत है, उनकी ढाल है। अगर प्रशासन अब भी कार्रवाई में ढिलाई दिखाता है, तो परिषद अब चुप नहीं बैठेगी। पत्रकार पर हमला, लोकतंत्र पर हमला है — और इस हमले के खिलाफ हमारी आवाज़ और भी तीखी होगी।”
प्रदेश सचिव जबलपुर संतराम केवरे ने पुलिस अधीक्षक से कहा - “शहर के थाना प्रभारियों को पत्रकारों से बातचीत करने का सलीका सिखाया जाए और हर महीने पुलिस व पत्रकारों के बीच संवाद बैठक अनिवार्य की जाए, ताकि पुलिस और पत्रकार दोनों के बीच बेहतर तालमेल बने और पत्रकारों की सुरक्षा सुनिश्चित हो।”